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दक्षिण मुंबई की 388 इमारतों के निवासियों को सीएम का दीवाली गिफ्ट

म्हाडा रिपेयर बोर्ड की इन इमारतों का होगा पुनर्विकास

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. दक्षिण मुंबई में म्हाडा की जर्जर हो चुकी 388 इमारतों के निवासियों को (CM’s Diwali gift to residents of 388 buildings in South Mumbai) मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दीवाली का गिफ्ट दिया है. 70 के दशक में बनी इन इमारतों का पुनर्निर्माण कानूनी प्रक्रिया में उलझ गया था.  इन इमारतों के निवासी लंबे समय से पुनर्विकास का इंतजार कर रहे हैं.मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आदेश दिया कि इन इमारतों का पुनर्निर्माण  गृहनिर्माण अधिनियम 33 (24) के अंतर्गत किया जाए.

 गौरतलब हो कि दक्षिण मुंबई की इस विकट समस्या की तरफ सरकार ध्यान नहीं दे रही थी. इमारतों के निवासी अपनी जान हथेली पर लेकर इसमें रह रहे हैं. अब सरकार बदलने के बाद लोगों की आस बंधी थी कि इमारतों के पुनर्विकास का जल्द हल निकाल आएगा.

सह्याद्री गेस्ट हाउस में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, गृहनिर्माण विभाग के प्रधान सचिव भूषण गगरानी, सांसद राहुल शेवाले,भाजपा जिलाध्यक्ष मिलिंद तुलस्कर एवं म्हाडा पुनर्रचित संघर्ष समित के पदाधिकारियों की बैठक इन इमारतों के पुनर्निर्माण का रास्ता साफ हो गया है. मुंबई ने आदेश दिया कि अधिनियम 33(7) के अंतर्गत मिलने वाले फायदे में 10 प्रतिशत कम करके पुनर्निर्माण की तत्काल अनुमति दी जाएं. मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि 10 दिन के भीतर अध्यादेश निकालें.

मुंबई शहर की 388 इमारतें 1970- 80 में किया गया था. इमारतें म्हाडा रिपेयर बोर्ड के अंतर्गत आती हैं. इन इमारतों में लाखों लोग रहते हैं. इमारतों के पुनर्विकास को लेकर वर्षों से मांग की जा रही है. लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण पुनर्विकास की राह कठिन हो गई है. म्हाडा पुनर्रचित संघर्ष समित ने पिछले 20 वर्षों से सरकार से इमारतों के पुनर्विकास के लिए नीति और नियमों को शिथिल बनाने की मांग कर रहा है. लेकिन इस पर अभी निर्णय नहीं लिया जा सका था.

संघर्ष समिति के राजपुरे ने बताया कि इन इमारतों की हालत बेहद खराब हो चुकी हैं. कुछ इमारतें जर्जर हालत में हैं. लीकेज और सीलिंग गिरना आम बात हो गई है. सबसे बड़ी समस्या कॉमन टॉयलेट की है. इनमें कई इमारतें पांच मंजिला हैं जिनमें लिफ्ट नहीं है. इमारतों में रहने वाले बुजुर्गों को कष्ट उठाना पड़ता है. लिफ्ट नहीं होने की वजह सीढ़ियां चढ़ने में परेशानी होती है. घर में कोई बीमार पड़ता है नीचे लाने के लिए सहायता की आवश्यकता पड़ती है. वर्षों से इस तरह की समस्याओं से लोगों को जूझना पड़ रहा है.

पुरानी इमारतों का क्षेत्रफल बहुत कम  है. 120 वर्गफुट,160 वर्गफुट और 180 वर्गफुट के कमरे हैं. परिवार बड़ा होने के कारण इन छोटे घरों में रहने की समस्या भी पैदा हो रही है. इसलिए मांगी की जा रही है कि इनका जल्द से जल्द पुनर्विकास किया जाए. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अब इन इमारतों के लाखों निवासियों को बेहतर आवास मिलने का रास्ता साफ हो गया है.

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