खसरा पीड़ित चार बच्चों को घर में किया कैद/बाहर से लगाया ताला
सूचना मिलने पर पहुंचे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने शुरू किया इलाज

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. महाराष्ट्र में फैला खसरा (Measles diseases) जानलेवा बनता जा रहा है. मुंब्रा कौसा (Mumbra Kausa) में ऐसे ही एक वाकया सामने आया है जहां खसरा पीड़ित चार बच्चों को मां बाप ने घर में कैद कर बाहर से ताला लगा दिया. इस घटना की सूचना मिलने पर पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने अब बच्चों का इलाज शुरू किया है. (Four children suffering from measles were confined in the house / locked from outside) का धार्मिक अंधविश्वास के कारण बच्चों का इलाज नहीं कराए जाने का यह मामला सुन कर हर कोई हैरान है.
राज्य सरकार खसरे का संक्रमण रोकने के लिए बड़े पैमाने पर बच्चों का टीकाकरण शुरू किया है. महाराष्ट्र में खसरे की महामारी बढ़ रही है और कुछ इलाकों में बच्चों के टीकाकरण का विरोध किया जा रहा है. वहीं यह बात सामने आई है कि कौसा में महानगरपालिका के स्वास्थ्य केंद्र की सीमा के भीतर एक घर में बच्चों को छिपाया जा रहा है. घर के चार बच्चे खसरे से पीड़ित थे लेकिन इंजेक्शन लगाने से बचने के लिए बच्चों को बीमारी की हालत में घर में कैद कर दिया गया.
यह कारनामा बच्चों के माता-पिता ने किया. 4 बच्चों को घर में रखा और बाहर से ताला लगा दिया. महापालिका के स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों को जब यह देखा तो वे मौके पर पहुंचे और तुरंत खसरे से पीड़ित बच्चों का इलाज किया. इस बीच यह बात सामने आई है कि खसरे को लेकर लोगों की मानसिकता अभी भी नहीं बदली है. मनपा प्रशासन खसरा पीड़ित बच्चों की खोज के लिए सर्च अभियान चला कर टीकाकरण कर रहा है. ठाणे नगर पालिका में अब तक 51 मरीजों का इलाज चल रहा है, 36 मरीजों का इलाज नगर पालिका के पार्किंग प्लाजा में चल रहा है. जबकि 14 मरीजों का कलवा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में इलाज चल रहा है. ठाणे जिले में पिछले 10 दिनों में 341 मरीज संक्रमित पाए गए हैं.
महाराष्ट्र के 12 जिलों में खसरे का प्रकोप
महाराष्ट्र के 12 जिलों में खसरे का प्रकोप देखा जा रहा है. खसरा का यह प्रकोप क्यों बढ़ रहा है, इसके कारणों का पता लगाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सलाहकार के तौर पर कार्यरत डॉक्टरों ने खसरा रोकने के उपाय कर रहे हैं. केंद्रीय टीम (Central team)ने मुंबई में खसरे के हॉटस्पॉट गोवंडी का दौरा किया था. टीम ने खसरे के प्रकोप का जायजा लेने के बाद बीएमसी के अधिकारियों से चर्चा की थी. इस बात पर भी चर्चा हुई है कि क्या जीनोम सीक्वेंसिंग का उपयोग यह जांचने के लिए किया जा सकता है कि वायरस में कोई आनुवंशिक परिवर्तन तो नहीं हुआ है.
महाराष्ट्र में मिल रहे खसरा मरीजों का नमूना जांच के लिए मुंबई और पुणे भेजा जा रहा था. जिसकी रिपोर्ट आने में एक सप्ताह का समय लगता था. संभाजी नगर में फैले खसरे की जांच के लिए अब घाटी अस्पताल में ही जांच की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है. पहले हाफकिन में जांच के लिए सैंपल मुंबई या पुणे भेजे जाते थे. लिहाजा रिपोर्ट आने में आठ से दस दिन लग जाते थे. लेकिन अब छह से आठ घंटे में रिपोर्ट में मिल जाती है.