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Dharavi Redevelopment: धारावी पुनर्विकास परियोजना कैसे होगी पूरी?
अडानी को टेंडर मतलब मैच फिक्सिंग

मुंबई. 18 वर्षों के संघर्ष के बाद राज्य सरकार ने धारावी पुनर्विकास परियोजना (Dharavi Redevelopment Project) के लिए निविदा जारी कर दिया. इसका टेंडर देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनी को मिला है. अडानी की कंपनी ने अन्य तीन कंपनियों को पीछे छोड़ कर 5069 करोड़ रूपए की बोली लगा कर टेंडर हासिल किया है. अडानी को टेंडर देने पर धारावी बचाओ संघर्ष समिति (Dharavi Sangharsh samiti) ने मैच फिक्सिंग बताया है.
धारावी बचाओ संघर्ष समिति ने परियोजना को पूरा करने के साथ ही लोगों को उनके अधिकार का घर मिले खूब संघर्ष किया. पिछले अठारह वर्षों के दौरान
धारावी वासियों के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं पेश की लेकिन वे कागज तक ही सीमित रहा. महाराष्ट्र की शिंदे -फडणवीस सरकार ने अब धारावी पुनर्विकास को पूरा करने का लक्ष्य रखा है.
धारावी पुनर्विकास प्राधिकरण (DRA) ने धारावी के पांच सेक्टर में बांट कर परियोजना को पूरा करने का निर्णय लिया है. निवेशकों आकर्षित करने के डीआरएम ने परियोजना की बोली को 3150 रुपए से घटाकर 1600 करोड़ पर ले आए. जबकि पूरी परियोजना पर 27000 करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान लगाया गया था.
512 एकड़ में फैले धारावी में कुल 58 हजार झोपड़े पात्र हैं. धारावी पुनर्विकास समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कोरडे ने कहा कि हमारी मांग है कि सभी को घर के बदले घर और दुकानों के बदले दुकान मिले. धारावी प्रोजेक्ट को वाइटल पब्लिक प्रोसेस में शामिल किया गया है. इसके तहत कट ऑफ डेट का कोई नियम नहीं है लेकिन डीआरपी में कट ऑफ डेट को भी शामिल किया गया है. धारावी के लिए पांच सेक्टर बनाए गए हैं यह देखना है कि डेवलपमेंट की शुरुआत किस सेक्टर से की जाती है.
कोरडे ने कहा कि अडानी को टेंडर मिलने का मतलब मैच फिक्सिंग है. यह टेंडर भी सेटिंग से तैयार किया गया लगता है. वर्ष 2818 में भी सेकलिंग और अडानी की कंपनी ने टेंडर भरा था. प्रोजेक्ट का बेस प्राइस 3750 करोड़ रखी गई थी. अडानी ने 4500 की बोली लगाई थी जबकि सेकलिंग ने 7200 करोड़ की बोली लगाई थी. लेकिन कंपनी को एलओआई नहीं दिया गया.
सरकार ने धारावी प्रोजेक्ट के लिए स्पेशल परपज वेहिकल बनाने का निर्णय लिया है. इसके तहत 80 प्रतिशत कंपनी की हिस्सेदारी होगी और 20 प्रतिशत सरकार की. इससे क्या हासिल होगा. गोरेगांव पत्राचाल में बिना निर्माण किए घोटाला हो गया. डेवलपर ने एक भी ईंट लगाए बिना हजारों करोड़ रुपए बैंक लोन ले लिया , एफएसआई बेचा लेकिन निवासियों को कुछ नहीं मिला. यहां भी ऐसा तो नहीं किया जा रहा है? यह सवाल कोरडे ने उठाया है.