
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. सात महीना पहले महाराष्ट्र ( Maharashtra politics) की राजनीति में आए तूफान का फिलहाल कोई अंत नहीं दिख रहा है. केंद्रीय चुनाव आयोग (CEC) में शिवसेना के दोनों गुटों की सुनवाई हो रही है. असली नकली शिवसेना (ShivSena) का फैसला चुनाव आयोग को करना है. आयोग में सुनवाई के दौरान ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल ने माना कि ठाकरे नंबर गेम में पिछड़ गए हैं. (Sibal agreed, Thackeray does not have the numbers) वहीं सुनवाई में हो रही देरी से उद्धव ठाकरे खेमें में बेचैनी है. क्योंकि
शिवसेना प्रमुख पर उद्धव ठाकरे का कार्यकाल 23 जनवरी तक है. शिंदे गुट उद्धव ठाकरे को शिवसेना प्रमुख बने रहने को ही चुनौती दी है.
शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के नेता लगातार दावे कर रहे कि शिवसेना चीफ वही बने रहेंगे लेकिन, दूसरी ओर बागी तेवरों वाले एकनाथ शिंदे गुट के नेता इस पर सवाल खड़े कर रहे हैं. उद्धव की शिवसेना के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने पार्टी
को आंतरिक चुनाव कराने या यथास्थिति बनाए रखने पर कोई फैसला नहीं दिया है. शिवसेना का मुखिया कौन होगा? इस सवाल के बीच असली और नकली शिवसेना पर जंग अभी भी जारी है.
चुनाव आयोग ने दोनों दलों को सात दिनों का समय दिया है. 30 जनवरी तक लिखित जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. जिससे फरवरी तक फैसला हो सके. दोनों गुटों के वकीलों के बीच तीखी झड़प भी हुई. बावजूद इसके शिवसेना में चीफ कौन होगा? इस पर गतिरोध बना हुआ है. 23 जनवरी को उद्धव ठाकरे का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है हालांकि पूछे जाने पर उद्धव के दल के नेता अनिल परब ने जोर देकर कहा कि ठाकरे पद पर बने रहेंगे क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा कोई विशेष निर्देश नहीं दिया गया है.
उन्होंने मीडिया से कहा, “उद्धव ठाकरे पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए शिवसेना पार्टी के अध्यक्ष हैं और रहेंगे. उन्होंने कहा, ‘पार्टी कार्यकर्ताओं को किसी अनुमति की जरूरत नहीं है. हमने केवल कानूनी औपचारिकताओं का पालन करने लिए ईसीआई की अनुमति मांगी थी.
ठाकरे और शिंदे गुट को सात दिन का वक्त
ईसीआई ने शुक्रवार को शिवसेना पार्टी के चुनाव चिन्ह मामले की सुनवाई करते हुए ठाकरे और शिंदे गुटों से 23 जनवरी से सात दिनों में अपना लिखित जवाब देने को कहा और अगली सुनवाई 30 जनवरी के लिए निर्धारित की है. जिसके बाद फरवरी
में अंतिम आदेश आने की उम्मीद है. उधर, परब का कहना है कि सिर्फ सांसद और विधायकों को छोड़कर राष्ट्रीय कार्यकारिणी और पार्टी संगठन को देखते हुए हमारे पास बहुमत है.
लेकिन ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग के समक्ष माना कि ठाकरे के पास नंबर नहीं है. विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे सहित 16 विधायकों को अयोग्य करार दिया था. यदि 16 विधायक अयोग्य होते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार अस्थिरता आ जाएगी. केवल अस्थिरता ही नहीं भाजपा – शिंदे सरकार का पतन भी संभव है.