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उद्धव ठाकरे से मिले ओमप्रकाश राजभर, भाजपा के खिलाफ शिवसेना यूबीटी की नई रणनीति

मुंबई मनपा, लोकसभा चुनाव पर हुई चर्चा

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. शिवसेना में बगावत के बाद शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ( Omprakash rajbhar meet Uddhav Thackeray)  रोज नये दलों को साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं. महाविकास आघाड़ी की तीनों पार्टियों के अलावा उद्धव ठाकरे ने इसी महीने वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ गठबंधन में बंधे हैं. रविवार को उत्तर प्रदेश की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात कर मुंबई मनपा और लोकसभा चुनाव पर भी चर्चा की.

शिवसेना की रणनीति मुंबई मनपा चुनाव में उत्तर भारतीय वोट बटोरने की है. कभी कांग्रेस के साथ रहा उत्तर भारतीय, हिंदी भाषी वोट बैंक अब पूरी तरह से भाजपा के पाले में जा चुका है. उत्तर भारतीय वोट के लिए ठाकरे ओमप्रकाश राजभर से समझौता कर सकते हैं. सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़े थे लेकिन चुनाव के बाद सपा से अलग हो गए.

हिंदी भाषी वोटों पर शिवसेना की नजर 

मुंबई महानगर एवं आस -पास के शहरों में पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं पश्चिमी बिहार के लोगों की संख्या अधिक है. इन लोगों में ओमप्रकाश राजभर का अच्छा खासा प्रभाव है. राजभर उत्तर प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र में भी अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं. महाराजा सुहेलदेव राजभर की 1014वीं जयंती के अवसर पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी की तरफ से मुंबई के दहिसर , भिवंडी एवं अन्य स्थानों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें भाग लेने के लिए ओमप्रकाश राजभर व उनके सहयोगी विधायक वेदी राम मुंबई आये हुए थे. इसी दौरान उन्होंने (शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. इस अवसर पर शिवसेना नेता एवं सांसद संजय राउत, सुभासपा के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष उमाशंकर राजभर, संयोजक मास्टर हीरालाल राजभर सहित अन्य लोग उपस्थित थे. उद्धव ठाकरे से मुलाकात के पहले राजभर ने शिवसेना सांसद संजय राउत से चुनावों को लेकर काफी देर तक चर्चा की.
छोटे दलों के साथ गठबंधन कितना कारगर

भाजपा के साथ युति में रहते हुए उत्तर भारतीय वोट शिवसेना को मिलते थे. वर्ष 2017 के मनपा चुनाव में दोनों दल अलग हो गए थे. शिवसेना 84 और भाजपा को 82 सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव के बाद शिवसेना का बड़े भाई का दर्जा भी छिन गया. मनपा की सत्ता चलाने के लिए महाविकास आघाड़ी की मदद लेनी पड़ी. पहले वंचित और अब सुभासपा के साथ जाने की तैयारी, छोटे दलों से गठबंधन कितना कारगर साबित होगा.

किसी से भी हाथ मिला सकते हैं ठाकरे!

मुंबई में उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. भाजपा इस बार हर हाल में मुंबई की सत्ता से शिवसेना को बेदखल करना चाहती है. शिवसेना बालासाहेब पार्टी के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भाजपा का महाराष्ट्र में युति होना तय है. इसलिए शिवसेना को अब छोटी पार्टियों को अपने साथ लाकर चुनावी माहौल को गर्म करना चाहती है. वैसे सुभासपा का मुंबई एवं आसपास की मनपा में कितना प्रभाव है यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा. लेकिन भाजपा को हराने के लिए उद्धव ठाकरे किसी से भी हाथ मिला सकते हैं, इससे यह स्पष्ट हो गया है.

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