Breaking News

सेस इमारतों का बढ़ा हुआ सेवा कर समाप्त, महाराष्ट्र सरकार ने दिया उपकर प्राप्त इमारतों के निवासियों को राहत

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. महाराष्ट्र सरकार ने दक्षिण मुंबई के सेस इमारतों में रहने वाले हजारों निवासियों को बड़ी राहत दी है. (Increased service tax of cess buildings ends, Maharashtra government gave relief to the residents of cessed buildings)  सेस इमारतों पर लगाया गया बढ़ा हुआ सेवा शुल्क कर को समाप्त कर दिया गया. उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज विधान सभा में घोषणा किए कि मुंबई में म्हाडा उपकर भवनों के लिए 665.50 रुपए के बढ़े हुए मासिक सेवा शुल्क को रद्द कर दिया गया है. अब निवासियों से पुरानी दर 250  रुपए ही वसूल किए जाएंगे.
 देवेंद्र फडणवीस ने भाजपा विधायक आशीष शेलार द्वारा पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए यह घोषणा की. उपमुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा किया कि ये इमारतें खतरनाक हो गई हैं और इनका पुनर्विकास योजना जल्द ही लागू की जाएगी. गिरगांव, वरली, लोअर परेल क्षेत्र के 483 गला धारकों को बकाया भुगतान के संबंध में नोटिस जारी किए गए हैं. सेस योग्य भवन की मरम्मत, संपत्ति कर, पानी की दर और साझा बिजली शुल्क आदि पर व्यय, प्रति माह लागत आमतौर पर 2000 रुपए आती है. उक्त व्यय हेतु  मार्च 2019 तक प्रति माह 250 रुपए सेवा शुल्क लिया जाता था. अप्रैल 2019 से इसमें 500 प्रति माह का सेवा शुल्क भी शामिल है. सेवा शुल्क में वार्षिक 10 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया गया था. इस हिसाब से मौजूदा समय में 665.50 रुपए प्रति माह सर्विस चार्ज लिया जा रहा है.
म्हाडा का कहना था कि निवासियों से वसूला जा रहा सेवा शुल्क मासिक लागत की तुलना में कम है. साथ ही संशोधित सर्विस चार्ज रेट लगाने के लिए नोटिस जारी किया गया है. हालांकि, मुंबई में 500 वर्ग फुट के घरों के लिए संपत्ति कर माफ कर दिया गया था और झुग्गियों में घरों पर संपत्ति कर नहीं लगाया जाता है.
फडणवीस ने कहा कि उन्हें पुनर्विकास में घर दिए जाते हैं. म्हाडा के उपकर भवनों पर यह कर माफ क्यों करने या नाममात्र शुल्क लेने का अनुरोध आशीष शेलार ने किया. इसके बाद उपमुख्यमंत्री ने घोषणा की कि वृद्धि को रद्द कर दिया गया है. इस बीच, मुंबई में गिरगांव, वर्ली, लोअर परल के लगभग 20 हजार परिवारों को म्हाडा द्वारा मकान किराया, जुर्माना और करों के बकाया का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी किया गया था, उनमें से प्रत्येक को लगभग 70 से 80 हजार रुपए भरें नहीं तो अपने घरों को खाली कर दें. इस तरह की नोटिस म्हाडा ने दी थी. सेस भवनों में रहने वाले 20 हजार परिवार गरीब और मध्यम वर्ग के है.  यह बकाया वे भुगतान नहीं कर सकते.
इस मामले सरकार जांच करके उक्त परिवारों का उचित समाधान करने और किराए में छूट देकर उनसे पहले की तरह उचित किराया वसूलने की मांग विधानसभा में की गई. जिसके बाद बढ़े हुए शुल्क को रद्द कर दिया गया.

Related Articles

Back to top button