World Sparrow Day: मुंबई से गौरैया का पलायन, संरक्षण के बढ़ाएं मदद का हाथ
नेचर फॉरएवर सोसाइटी विश्व गौरैया दिवस पर मुफ्त में पक्षियों और पक्षी स्नान के लिए मिट्टी के घड़े का वितरण

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई, कंक्रीट के जंगल में बदलती देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अब नन्ही गौरैया का पलायन शुरू हो गया है. (Sparrow migration from Mumbai, extend a helping hand for conservation) कांच की इमारतें, छोटे वृक्षों की कमी, भोजन की कमी के कारण गौरेया का मुंबई से पलायन कर ठाणे, रायगड आदि जिलों का रूख किया है.
पिछले कुछ वर्षों में मुंबई में गौरैया की संख्या 70 फीसदी घट गई है. जो कुछ गौरेया हैं वे रानीबाग, धारावी के निसर्ग उद्यान, बीकेसी मीठी नदी परिसर, आरे कालोनी, संजय गांधी उद्यान में हैं. गौरैया संरक्षण में लगी संस्थाओं का कहना है कि समय रहते यदि नैसर्गिक आवास, भोजन की व्यवस्था नहीं की गई तो यह प्रजाति ही नष्ट हो जाएगी.
गौरैया संरक्षण में लगी नेचर फॉरएवर सोसाइटी विवियाना मॉल के सहयोग से एक मुफ्त पक्षी वितरण कार्यक्रम की मेजबानी करेगी. 25 मार्च, 2023 को संगठन गोरेगांव के ओबेरॉय मॉल में 5000 से अधिक पक्षी स्नान वाले मिट्टी के बर्तन का वितरण करेगा. ये कार्यक्रम विश्व गौरैया दिवस के सम्मान में आयोजित किए जा रहे हैं, एक वैश्विक पहल जिसका उद्देश्य गौरैया की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनके संरक्षण को बढ़ावा देना है.

विश्व गौरैया दिवस 2023 का मुख्य कार्यक्रम संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित किया गया था, जिसमें डॉ. बेन क्लेमेंट, एपीसीसीएफ (वन्यजीव) मुख्य अतिथि के रूप में और श्री सुनील लिमये, पूर्व पीपीसीएफ महाराष्ट्र, सम्मानित अतिथि के रूप में थे। इस कार्यक्रम में नेचर फॉरएवर सोसाइटी के संरक्षण भागीदारों और गौरैयों के लिए काम करने वाले जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के नागरिकों ने भाग लिया.
इन आयोजनों के अलावा, नेचर फॉरएवर सोसाइटी देश के विभिन्न हिस्सों में विश्व गौरैया दिवस के आयोजनों का समन्वय कर रही है. विश्व गौरैया दिवस की शुरुआत नेचर फॉरएवर सोसाइटी और इको-सिस एक्शन फाउंडेशन द्वारा की गई थी और अब यह दुनिया भर के 50 से अधिक देशों में मनाया जाता है.
नेचर फॉरएवर सोसाइटी के अध्यक्ष मोहम्मद दिलावर ने कहा, “हम इन आयोजनों के साथ विश्व गौरैया दिवस मनाने के लिए रोमांचित हैं.” “हम गौरैया के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और नागरिकों को इन पक्षियों की रक्षा के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित करने की उम्मीद करते हैं.
अधिक जानकारी के लिए, कृपया मोहम्मद दिलावर से 9420001820 पर या dilawarmohammed@gmail.com
नेचर फॉरएवर सोसाइटी प्रकृति और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए समर्पित एक गैर-लाभकारी संगठन है. संगठन जैव विविधता के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने और स्थायी जीवन पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है. 2009 में स्थापित नेचर फॉरएवर सोसाइटी भारत में गौरैया और अन्य पक्षियों के संरक्षण की दिशा में काम कर रही है.
मुंबई में गौरैया संरक्षण में लगी स्पैरो शेल्टर संस्था के प्रमोद माने ने कहा कि मुंबई में लगातार हो रहे विकास, मोबाइल टावर से निकलने वाले रेडिएशन, पेड़ों की घटती संख्या, कौओं, कबूतरों और बड़े पक्षियों की संख्या बढ़ने से गौरैया की संख्या में भी कमी आई है.
पिछले कुछ सालों में मुंबई तेजी से बदलाव आया है. नतीजतन, गौरैया को बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होना पड़ता है, लेकिन उनकी जीवनशैली प्रभावित होती है. मुंबई में घटते पेड़ों, इंसानों की बदलती खान-पान की आदतों, बढ़ते आधुनिकीकरण, गगनचुंबी इमारतों में वृद्धि के कारण गौरैया मुंबई छोड़कर उपनगरों में पलायन कर रही हैं. कई जगहों पर गौरैया के प्रजनन स्थलों के नष्ट होने से उनकी संख्या और भी कम हो गई है.
अगर मुंबई में गौरैया का पलायन रोकना है या उनकी संख्या बढ़ानी है तो उन्हें जरूरी आवास बनाना होगा. अधिक हरियाली बनाने की जरूरत है. पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता है. इसके अलावा, जिस स्थान पर हम रहते हैं, वहां गौरैया के लिए भोजन देना, उन्हें पानी देना, उनके लिए कृत्रिम घोंसले बनाना आदि आवश्यक है. इस तरह के उपाय पिछले कुछ सालों से किए जा रहे हैं. लेकिन यह प्रयास अपेक्षाकृत कम है. जिस तरह से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, उससे दोगुनी तेजी से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम किया जाना चाहिए.