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जर्जर इमारतों के पुनर्निर्माण के लिए बीएमसी नहीं लगा सकती अलग नियम, हाईकोर्ट ने बीएमसी दलील को ठुकराया

बीएमसी की 100 प्रतिशत शर्त अमान्य, डेवलपर को मिली राहत

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) ने मंगलवार को कहा कि खतरनाक और असुरक्षित इमारतों के पुनर्विकास के लिए किरायेदारों की 100 प्रतिशत सहमति की आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सी-1 के तहत आने वाले ऐसे निजी और मुंबई मनपा के खतरनाक भवनों के पुनर्विकास के लिए 51 से 70 फीसदी किराएदारों की सहमति ही काफी है. (BMC cannot impose separate rules for reconstruction of dilapidated buildings, High Court rejects BMC’s argument))

बीएमसी की इस शर्त को रद्द करने की मांग को लेकर राज आहूजा और जैन एम आहूजा ने याचिका दायर की थी. मधु एस्टेट गोरेगांव के जय प्रकाश नगर में एक मंजिला इमारत थी, जिसमें 39 औद्योगिक क्लस्टर थे. खतरनाक होने के कारण इस इमारत को गिरा दिया गया था. याचिकाकर्ता इस भवन का पुनर्विकास करने जा रहा है. इन औद्योगिक गालों को मकान दिए जाएंगे. 39 में से 7 स्टेक होल्डर्स ने इस प्रस्ताव का विरोध किया.

दरअसल बीएमसी नियमों के मुताबिक खतरनाक और असुरक्षित इमारतों के पुनर्विकास के लिए किराएदारों की शत-प्रतिशत सहमति जरूरी है. इस शर्त के चलते नगर पालिका पुनर्विकास के लिए सीसी नहीं देती है. यह गलत है. इस स्थिति ने पुनर्विकास रुक गया है, और निर्माण की लागत भी बढ़ रही है. हमारी परियोजना में पुनर्विकास के लिए 32 किरायेदार तैयार हैं. इसका मतलब है कि 82 प्रतिशत किरायेदार पुनर्विकास के लिए तैयार हैं. इसलिए याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट 100 फीसदी किराएदारों की सहमति वाली बीएमसी की शर्त को रद्द करे.

इस याचिका का नगर पालिका ने विरोध किया. बीएमसी के वकील ने कहा कि यह शर्त किराएदारों के फायदे के लिए रखी गई है. नगर पालिका का दावा है कि यह स्थिति सही है. लेकिन डीसीआर के नियमों के मुताबिक पुनर्विकास के लिए 51 से 70 फीसदी किराएदारों की सहमति जरूरी है. अगर ऐसा है तो खतरनाक इमारतों के लिए अलग नियम बनाना गलत होगा. इसलिए, खतरनाक और असुरक्षित इमारतों को फिर से किराए पर देने के लिए किरायेदारों की 100 प्रतिशत सहमति की आवश्यकता नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा है कि सी-1 के तहत आने वाले ऐसे भवनों के पुनर्निर्माण लिए 51 से 70 फीसदी किराएदारों की सहमति ही काफी है.

जस्टिस जी एस कुलकर्णी, जस्टिस आर एन लोढ़ा ने आदेश में कहा कि  पुनर्विकास के लिए बहुमत है तो अल्पमत के कारण पुनर्विकास नहीं रोक जा सकता. इससे निर्माण की लागत बढ़ जाती है. यह कहते हुए बीएमसी की 100 प्रतिशत सहमति की शर्तों को खारिज कर दिया. मुंबई में डीसीआर नियम ही चलेगा.

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