उत्तर प्रदेश में भीषण गर्मी, प्रयागराज में तापमान 44.6 डिग्री सेल्सियस, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी
गर्मी से बचने के लिए अपनाएं डॉक्टरों के बताए यह उपाय

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
प्रयागराज. अतीक अहमद प्रकरण को लेकर पिछले एक महीने से तप रहा प्रयागराज अब गर्मी को लेकर भी तपने लगा है. उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) में गर्मी कहर बरपा रही है, वहीं गर्मी का आलम यह है कि प्रयागराज (Prayagraj) में तापमान पूरे प्रदेश में सर्वाधिक 44.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है. भीषण गर्मी आसमान से आग बरसा रही है. इस कारण दोपहर में घर से निकलना मुश्किल हो गया है. मौसम विभाग ने गर्मी को 9 राज्यों को चेतावनी जारी की है.इससे स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है (Severe heat in Uttar Pradesh, temperature in Prayagraj is 44.6 degree Celsius, Meteorological Department issued warning)
अगले दिनों में 3 डिग्री बढ़ेगा तापमान
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि अगले दो दिन में पारा तीन डिग्री अधिक ऊपर जाने के आसार हैं. मौसम विभाग ने लू की दी चेतावनी जारी की है. मौसम विभाग ने की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर पश्चिमी भारत में अगले 5 दिन में कुछ जगह बारिश से होने से राहत मिल सकती है. यूपी में प्रयागराज का पारा 44.6 डिग्री जबकि अन्य जगह लगभग 42 डिग्री का तापमान रिकॉर्ड किया गया. मौसम विभाग ने कहा बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें. घर से बाहर निकलते समय पूरी सावधानी बरतें और लू के थपेड़ो से बचने का पर्याप्त उपाय करके ही बाहर जाएं.
हीटस्ट्रोक हो सकता है घातक
बढ़ती गर्मी ने नागरिकों का जीना दूभर कर दिया है. हीटस्ट्रोक कैसे होता है और कैसे हीटस्ट्रोक मौत के लिए जिम्मेदार हो सकता है, इसलिए विशेषज्ञ डॉक्टर सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं.
डॉ. भरत जगियासी ने बताया कि आमतौर पर दो तरह के हीट स्ट्रोक होते हैं. बाहर के तापमान में वृद्धि से गैर-श्रम तापघात होता है, जबकि बाहर के तापमान में वृद्धि होती है, लेकिन शरीर के तापमान में वृद्धि नहीं होती है, जिससे ऊष्माघात होता है. जब बाहर का तापमान बढ़ता है, तो शरीर का कूलिंग सिस्टम शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए सक्रिय हो जाता है. यह प्रणाली शरीर से पसीने को बाहर निकाल कर शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है. इस समय शरीर को पानी की जरूरत होती है. लेकिन अगर यह पानी उपलब्ध न हो तो शरीर से पसीना निकलने की प्रक्रिया बंद हो जाती है और शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार जाने लगता है. ऐसे में शरीर का तापमान नियंत्रण तंत्र ठप हो जाता है. जैसे ही सिस्टम बंद हो जाता है, सांस की समस्याएं शुरू हो जाती हैं, रक्तचाप कम हो जाता है, उल्टी और चक्कर आने लगते हैं. व्यक्ति बेचैन या चक्कर खाकर नीचे गिर जाता है. साथ ही दिमाग, किडनी, दिल जैसे शरीर के अंग प्रभावित होने लगते हैं. अत्यधिक ऊष्माघात की स्थिति में, यदि कोई व्यक्ति लंबी दूरी की यात्रा कर रहा हो या व्यायाम कर रहा हो, तो वह ऊष्माघात से पीड़ित होता है.
उष्माघात से बचने का करने प्रयास
डॉ. मधुकर गायकवाड़ ने बताया कि हम सब धूप में चलते हैं. लेकिन धूप के संपर्क में आने से अचानक कुछ ही मरते हैं. हमारे शरीर का तापमान हमेशा 37 डिग्री सेल्सियस रहता है. इस तापमान में शरीर के सभी अंग ठीक से काम करते हैं. पसीने के रूप में पानी को बाहर निकाल कर शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस पर बनाए रखा जाता है. लगातार पसीना आने के दौरान पानी पीना बहुत जरूरी है.
मुंबई के मशहूर डॉ. मधुकर गायकवाड़ बताते हैं कि पानी शरीर में अन्य, अधिक महत्वपूर्ण कार्य भी करता है. इसलिए यदि शरीर में पानी का भंडार कम हो जाए तो शरीर पसीने के रूप में पानी को बाहर निकालने से बचता है. जब बाहर का तापमान 45 डिग्री से ऊपर हो जाता है और पानी की कमी के कारण शरीर का कूलिंग सिस्टम बंद हो जाता है तो शरीर का तापमान 37 डिग्री से ऊपर उठने लगता है. जब शरीर का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो व्यक्ति को लो ब्लड प्रेशर, चक्कर आना, उल्टी, डिहाइड्रेशन की समस्या का सामना करना पड़ता है. साथ ही, व्यक्ति के अंग धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं और उसकी मृत्यु हो जाती है.




