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शिवसेना के किस समूह को मिलेगा धनुष बाण!

चुनाव आयोग के पाले में पहुंची गेंद

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

दिल्ली.शिवसेना में हुए विद्रोह मामले की सुनवाई संविधान पीठ के सामने शुरु हो गई है. (Which faction of Shiv Sena will get bow and arrow?) आज लंबी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के काम में दखल देने से इनकार कर दिया है. इससे चुनाव आयोग को पार्टी के चुनाव चिह्न पर फैसला लेने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शिंदे समूह को राहत तो मिली है, लेकिन ठाकरे को बड़ा झटका लगा है. इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग को धनुष बाण पर कोई निर्णय नहीं लेने का आदेश दिया था.

गौरतलब हो कि शिंदे समूह ने चुनाव आयोग के समक्ष असली शिवसेना होने का दावा करते हुए चुनाव चिन्ह की मांग की थी. उनका कहना है कि वे असली शिवसेना हैं, जबकि उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि चुनाव आयोग को इस संबंध में निर्णय लेने से रोका जाना चाहिए. लेकिन उद्धव गुट की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी की चुनाव आयोग के कार्य में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने आज एक दिन की लंबी सुनवाई के बाद चुनाव आयोग के काम को स्थगित करने से इनकार कर दिया.

इससे चुनाव आयोग के लिए शिवसेना पार्टी के चुनाव चिह्न पर फैसला लेने का रास्ता साफ हो गया है. ‘धनुष बाण’ पाने के लिए शिंदे समूह और ठाकरे के बीच सुप्रीम कोर्ट में चल रही जंग अब चुनाव आयोग तक पहुंच गई है.

न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. यह दिन ऐतिहासिक हो गया क्योंकि आज से संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई का यूट्यूब पर सीधा प्रसारण किया गया.
   शिंदे ने लोकतंत्र में बहुमत महत्वपूर्ण
इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत महत्वपूर्ण है. आज हमारे पास विधानसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत है. जो भी फैसले लिए जाते हैं वे संविधान और कानून के अनुसार होते हैं.  सुप्रीम कोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए निर्णय दिया है. चुनाव आयोग एक स्वायत्त प्रणाली है. कुछ निर्णय अदालत में किए जाते हैं, कुछ चुनाव आयोग के समक्ष किए जाते हैं.
हमें संविधान और लोकतंत्र में विश्वास 
जबकि शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा  कि यह शिंदे समूह के लिए राहत की बात नहीं है. आदित्य ठाकरे ने कहा, “हमें संविधान और लोकतंत्र में भरोसा है. इसलिए चुनाव आयोग हमारे पक्ष में फैसला सुनाएगा.महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं कुछ जगहों पर देख रहा था कि किस समूह को राहत मिली है, लेकिन यह राहत नहीं है. आदित्य ठाकरे ने कहा कि तर्क की अदालत बदल गई है, जो सुप्रीम कोर्ट में थी, अब यह चुनाव आयोग के पास गई है, जहां बहस जारी रहेगी. उन्होंने आगे कहा, “जो हो रहा है वह लोगों के सामने है. यह तर्क कि महाराष्ट्र के लोग दुनिया के लोगों को देख रहे हैं, देश में लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण होगा.”हम सत्ता के पक्ष में हैं, सत्य हमारे पक्ष में होगा, हम वर्तमान के साथ खड़े हैं. जैसे विजय दशमी पर सत्य की जीत हुई, हम  यहां भी जीतेंगे. जब उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तब भी हमने उन्हें टेबल पर चढ़कर नाचते देखा. उनसे कुछ अलग की उम्मीद नहीं है.आदित्य ठाकरे ने कहा, “हम सुनवाई के लिए तैयार हैं. हम अपनी न्यायपालिका में विश्वास करते हैं. यह लड़ाई लोकतंत्र और देश के लिए महत्वपूर्ण होगी.

संविधान पीठ ने यह भी कहा है कि चुनाव आयोग को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. चुनाव आयोग शिवसेना के गठन और शिवसेना के पदाधिकारियों, निर्वाचित विधायकों के हलफनामे के आधार पर फैसला करेगा.

शिवसेना के पूर्व सांसद अरविंद सावंत ने कहा, “हमारे मुद्दों को सुनने के बावजूद, अदालत ने केंद्रीय चुनाव आयोग को सुनवाई की अनुमति दी. अब हम केंद्रीय चुनाव आयोग में इस लड़ाई को लड़ेंगे.

दोनों समूह के वकीलों ने अपने पक्ष में जमकर बहस की. उद्धव ठाकरे की ओर से कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की. सिब्बल ने कहा, “शिंदे को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. उनकी कोई सदस्यता नहीं है.”सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव आयोग के काम को सिर्फ इसलिए नहीं रोक सकते क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
ठाकरे के वकील सिब्बल का तर्क 
एकनाथ शिंदे चुनाव आयोग के पास इस मांग को लेकर गए हैं कि हम असली शिवसेना हैं, और हमारे पास पार्टी का चुनाव चिह्न होना चाहिए. साथ ही उद्धव ठाकरे ने मांग की कि जब तक दलबदल, विलय और अयोग्यता के मुद्दे पर फैसला नहीं लिया जाता है तब तक चुनाव आयोग का काम रोक दिया जाए.

कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे का बचाव किया. उन्होंने कहा, “हम आज यहां हैं क्योंकि मामला संविधान पीठ के पास है. चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं दिया है. आग मुंबई  मुंबई मनपा का चुनाव हैं. चुनाव अभी नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता है, यह एक बड़ी आपदा होगी. मैं दसवीं अनुसूची के संदर्भ में अंतर-पार्टी लोकतंत्र पर तर्क से आश्वस्त नहीं हूं. क्या इसका मतलब यह है कि आप विपक्षी दलों के साथ हाथ मिलाकर किसी भी सरकार को गिरा सकते हैं? कपिल सिब्बल ने कहा, “अगर आप अयोग्य भी हैं, तो भी हमें इस बात की चिंता नहीं है कि 10वीं सूची के तहत क्या हो रहा है. जो लोग इस्तीफा देते हैं, वे पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा नहीं कर सकते.

चुनाव आयोग के दस्तावेजों के अनुसार, उद्धव ठाकरे 20180 से 2023 तक पार्टी प्रमुख हैं. शिंदे के पास पार्टी की प्राथमिक सदस्यता भी नहीं है. कपिल सिब्बल ने ठाकरे की ओर से दलील दी है कि उन्हें चुना भी नहीं गया था.

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