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एनसीपी में हो गया शिवसेना जैसा खेल, भतीजे के हाथ पार्टी और चुनाव चिन्ह, चुनाव आयोग का फैसला

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. एनसीपी में विभाजन को लेकर शरद पवार और भतीजे अजीत पवार के बीच चल रहे विवाद में केंद्रीय चुनाव आयोग मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया. चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और चुनाव चिन्ह घड़ी पर अजीत पवार के पक्ष में फैसला सुनाया है. इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना जैसा खेला हो गया. इससे शरद पवार को बड़ा झटका लगा है. (There is a game like Shiv Sena in NCP, party and election symbol is in the hands of nephew, Election Commission’s decision) 

140 पन्नों के आदेश में चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी करार दिया है. आयोग ने अपने आदेश में यह भी कहा कि शरद पवार गुट को नया नाम और चुनाव चिन्ह 7 फरवरी को दिया जाएगा . चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर शरद पवार को अपने नए राजनीतिक दल का नाम रखने के लिए विशेष छूट दी है. शिवसेना में हुई बग़ावत की तरह ही जुलाई 2023 में अजीत पवार एनसीपी के 40 विधायकों के साथ महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे. गठबंधन सरकार में उन्हें डिप्टी सीएम भी बनाया गया था शरद पवार से बगावत के बाद अजीत पवार ने दावा किया था कि एनसीपी का बहुमत उनके पास है इसलिए पार्टी का नाम और सिंबल पर उनका अधिकार है.

अजीत पवार ने 30 जून को चुनाव आयोग में याचिका दायर कर एनसीपी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा किया था. वहीं दूसरी तरफ शरद पवार ने पार्टी छोड़कर जाने वाले 9 मंत्रियों समिति 31 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी.

इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अजीत पवार ने कहा कि  हमारे वकीलों की दलील सुनकर पक्ष में निर्णय देने के चुनाव आयोग के फैसले का सहर्ष स्वागत करते हैं.

चुनाव आयोग के समक्ष इस मामले की कुल 10 सुनवाई हुई जिसमें शरद पवार स्वयं उपस्थित थे. आयोग ने स्पष्ट किया कि पार्टी के भीतर चुनाव नहीं कराए गए थे. इसलिए पार्टी और चुनाव चिन्ह अजीत पवार गुट उपयोग करेगा. दो सांसद अजीत पवार के समर्थन में पत्र दिया वहीं 5 विधायकों ने दोनों तरफ पत्र दिया था.

अजीत पवार के पक्ष में महाराष्ट्र के 41 विधायक, नागालैंड के 7 विधायक, झारखंड का एक विधायक, दो सांसद, विधान परिषद के 5 एमएलसी, और राज्यसभा के एक सांसद हैं. जबकि शरद पवार के साथ महाराष्ट्र के  15 विधायक, केरल का एक विधायक, लोकसभा के चार सांसद, राज्यसभा के एक सांसद और विधान परिषद के 4 विधायक हैं.

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