Breaking Newsउत्तर प्रदेशलखनऊ

भाजपा विधायकों में भगदड़ क्यों

टिकट कटने का ड़र या कुछ और

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में पांच साल  सत्ता भोगने के बाद विधायक पार्टी छोड़ कर सपा में शामिल हो रहे हैं. अब तक तीन मंत्री सहित 15 विधायक भाजपा से इस्तीफा दे चुके हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया कि 14 को भाजपा साफ हो जाएगी. यह तो ट्रेलर है.  गुरुवार को एक मंत्री सहित सात विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. इसमें मित्र पार्टी अपना दल (एस) के  दो विधायक भी हैं. इतनी बड़ी संख्या में पार्टी छोड़ने वाले विधायक टिकट कटने के ड़र से जा रहे हैं या कुछ और कारण है.

दरअसल चुनाव की घोषणा से पहले भाजपा खेमे में तह बात तैर रही थी कि 100 विधायकों का टिकट कट सकता है. भाजपा परफॉर्मेंस के आधार पर विधायकों की सूची तैयार कर रही थी. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि केवल टिकट कटने का ड़र था इसलिए पिछड़ा वर्ग के नाम पर सब स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ एक छत्र के नीचे आ गए. पार्टी छोड़ने वाले विधायकों में से सपा कितने लोगों को टिकट दे सकती है यह देखने वाली बात होगी.
 आरोप यह भी लगते रहे कि योगी सरकार में प्रमुख पदों पर एक विशेष वर्ग के लोगों को ही बैठा कर अन्य समाज के लोगों की उपेक्षा की गई. इस्तीफा देने वाले विधायकों को लगता है कि इस बार उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं बनेगी. पिछड़ी जाति के विधायकों का  पार्टी छोड़ कर जाना भाजपा के नुकसानदेह हो सकता है. लेकिन जमीनी हकीकत अलग है. गांवों में अब भी भाजपा के पांच साल के कार्य को तरजीह दी जा रही है. उत्तर प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी यह जनता के हाथ में है. इतने विधायकों के सपा में जाने के बाद भी यदि सपा की सरकार नहीं बनती है तो इन नेताओं की राजनीति खत्म होने के कगार पर पहुंच जाएगी.

गुरुवार को इस्तीफा देने वाले विधायक

गुरुवार को इस्तीफा देने वाले विधायकों में विनय शाक्य, मुकेश वर्मा और सीताराम वर्मा,  मंत्री  धर्मपाल सिंह सैनी,  बाला प्रसाद अवस्थी और राम फेरन पांडे

Related Articles

Back to top button