रेल मंत्रालय, रेलवे प्रशासन की नाकामी का खामियाजा भुगत रहे यात्री

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई, बांद्रा टर्मिनस (Bandra Terminus) (Stampede) पर आज गांव जाने के लिए प्लेटफार्म पर ट्रेन पकड़ने जुटी भीड़ के कारण मची भगदड़ रेल मंत्रालय और रेल प्रशासन की नाकामी उजागर कर रही है. रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव यात्रियों को होने परेशानी को लेकर गंभीर नहीं है. प्लेटफार्म पर एक इंच खड़े होने की जगह नहीं थी. रेल विभाग पहले यात्रियों को वेटिंग टिकट जारी करता है और कन्फर्म नहीं होने के बाद ट्रेन चढ़ने नहीं देता है. इस उपाय योजना से भीड़ नियंत्रण की कोशिश एक फेल मंत्रालय की कहानी बयां करता है. आज हुए हादसे में एक यात्री इतना गंभीर रूप से घायल हो गया कि जीवन भर अपाहिज होने की नौबत आ गई. (Railway passengers are suffering due to failure of railway administration)
रेल प्रशासन को पता है कि त्योहार हो या गर्मी की छुट्टी उत्तर भारत की तरफ जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों अपरंपार भीड़ जमा हो जाती है. उसके बाद भी वर्षों से ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही. एक दो स्पेशल ट्रेन चला कर रेल विभाग पल्ला झाड़ लेता है जबकि टिकट और वेटिंग टिकट से उसे पता चलता है कि गांव जाने वाले यात्रियों की संख्या कितनी है. यात्रियों की संख्या के अनुसार ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकती है लेकिन रेल प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहता है.
लाखों यात्री अब भी टिकट की प्रतीक्षा में
शादी विवाह का सीजन हो या त्योहारी सीजन, गांव जाने वालों को आसानी से टिकट उपलब्ध नहीं होता है. टिकट के नो रूम होने तक टिकट जारी किए जाते हैं. लाखों यात्री अब भी टिकट मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. लेकिन टिकट उपलब्ध नहीं है. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड यहां तक नेपाल के लोग भी बड़ी संख्या में मुंबई में रहते हैं. गांव जाने के लिए टिकट उपलब्ध नहीं फिर ऐसे मंत्रालय का क्या फायदा जहां का रेल मंत्री यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान नहीं देता है.
चार दशक से उत्तर भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों की यही कहानी है. जहां ज्यादा ट्रेनों की जरूरत है वहां बुलेट ट्रेन चलाने की बजाय मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. आज के हादसे में 50 से अधिक लोगों को चोटें आई हैं. जो ज्यादा घायल थे उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. रेल मंत्री जी अब तो आंखें खोलिए, मंत्रालय के ऐसी कमरे से बाहर निकल रेल विभाग के उन अधिकारियों पर नकेल लगाइए जो उचित व्यवस्था बनाने में नाकाम साबित हो रहे हैं.