
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली. कोरोना काल में जब मरीज दवाओं के लिए परेशान थे तब तमाम डॉक्टर (Doctors)अपना इमान बेच कर पैसा कमाने में लगे थे. इनकम टैक्स द्वारा मारे गए छापे से खुलासा हुआ कि डोलो 650 (Dolo 759) बुखार की दवा बेचने के लिए दवा निर्माता कंपनी ने महंगे गिफ्ट देकर डॉक्टरों को (Dolo drug manufacturing company fraud) खरीद लिया था. अपनी दवा का विज्ञापन करने की बजाय कंपनी ने डॉक्टरों को 1000 करोड़ रुपए के गिफ्ट बांट दिए थे.
बता दें कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 6 जुलाई को ने 9 राज्यों में माइक्रो लैब्स लिमिटेड के 36 जगहों पर छापेमारी की थी. इस छापेमारी के दौरान इनकम टैक्स विभाग ने 1.20 करोड़ रुपए कैश और 1.40 करोड़ रुपए के गहने जब्त किए हैं.
कंपनी के कार्यालय में बरामद कैश और ज्वेलरी को कंपनी ने अपना मानने से इनकार कर दिया है. ईमेल द्वारा पूछताछ में भी कंपनी ने कोई उत्तर नहीं दिया. सीबीडीटी के अनुसार जांच में पता चला है कि कंपनी ने 1000 करोड़ रुपए की उपहार मुफ्त में दिया था. कंपनी ने अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल किया.
अधिकारी के अनुसार दवा की कीमत कम होगी लेकिन कंपनी ने जो रास्ता अपनाया वह चर्चा का विषय बन गया है. कोरोना महामारी के दौरान डॉक्टर गिफ्ट की लालच में प्रिस्क्रिप्शन पर डोलो 650 लिख रहे थे. इससे दवाओं की कृत्रिम कमी पैदा कर लोगों में दहशत पैदा की गई. यह दवा ही बाजार से गायब हो गई थी. अधिकारी के अनुसार 2020 में कोविड-19 का प्रकरण सामने आने के बाद 350 करोड़ की गोलियां बेची गई और कंपनी को एक वर्ष में 400 करोड़ रुपए मिले.
सीबीडीटी के निवेदन में इस समूह के पहचान का खुलासा नहीं किया गया लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड ही है. जांच के दौरान सीबीडीटी को की अनियम पाई गई है. कोरोना के समय दर्द निवारक दवा, एंटी पायरेटिक,और डोलो 650 को डॉक्टरों ने सबसे प्रभावी बता कर ज्यादा प्रिस्क्रिप्शन लिखा.
महाराष्ट्र में भी दवाओं का गोरखधंधा
ऑल फूड एंड ड्रग्स लायसेंस होल्डर फाउंडेशन के अध्यक्ष अभय पांडे ने बताया कि महाराष्ट्र में दवा निर्माता कंपनियां अपने फायदे के लिए डॉक्टरों को 40% मार्जिन देकर दवाएं लिखवाती है. यह रैकेट लंबे समय से चल रहा है लेकिन कोई एक्शन नहीं हो रहा है. पांडे ने बताया कि महाराष्ट्र में इस तरह की 500 कंपनियां हैं.