महाराष्ट्र एफडीए का बड़ा फैसला, जानसन बेबी पाउडर का विनिर्माण लाइसेंस रद्द
पावडर में कैंसर कारक तत्व पाए जाने के कारण हुई कार्रवाई

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. अंतरराष्ट्रीय कंपनी जानसन एंड जानसन प्रा. लि. की तरफ से बनाया जाने वाला ‘जानसन बेबी पाउड़र’ का विनिर्माण लाइसेंस महाराष्ट्र एफडीए ने रद्द कर दिया है. (Maharashtra FDA’s big decision, cancellation of manufacturing license of Johnson Baby Powder) एफडीए जांच में जानसन बेबी पाउडर जांच में फेल होने के बाद यह कार्रवाई की गई है.
एफडीए की तरफ जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि जानसन बेबी पावडर का नासिक और पुणे से लिया गया था. पाउडर जांच में फेल होने के बाद एफडीए ने कंपनी को नोटिस भेजा था. बाद में सेंपल को जांच के लिए मुंबई लैब में भेजा गया था. यहां भी सेंपल मानक के अनुरूप नहीं पाया गया. एफडीए की नोटिस के खिलाफ कंपनी कोर्ट चली गई. अधिकारी के अनुसार जानसन एंड जानसन प्रा.लि ने कोर्ट से कहा कि मुझे सरकार लैबोरेटरी की जांच पर विश्वास नहीं है. केंद्रीय प्रयोगशाला में इसकी जांच होनी चाहिए. केंद्रीय प्रयोगशाला कोलकाता की जांच में भी गुणवत्ता अप्रमाणित मिलने पर एफडीए ने एलबीएस मार्ग स्थित मुलुंड कंपनी में उत्पादन लाइसेंस रद्द कर दिया है.
एफडीए के अनुसार जानसन बेबी पावडर का छोटे बच्चों पर बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता था. इस पावडर का PH मानक के अनुरुप नहीं पाया गया. एफडीए के अनुसार इस पावडर से बच्चों की त्वचा को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. इसलिए 15 सितंबर 2022 से जानसन बेबी पावडर का उत्पादन हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है.
हालांकि कंपनी ने पहले ही घोषणा की थी कि वह 2023 से जानसन बेबी पाउडर का उत्पादन बंद कर देगी. पाउडर में कैंसर कारक तत्व पाए जाने के कारण अमेरिका और कनाडा में पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है. कंपनी का कहना था कि वह देश भर में दायर हुए मुकदमे के कारण उत्पादन बंद करेगी. उससे पहले कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया.
टेल्कम पाउडर हानिकारक
टैल्क एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला मिनरल है. इससे बने पाउडर को टैल्कम पाउडर कहते हैं. इस मैग्नीशियम, सिलिकॉन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन से बना होता है. टैल्क का रासायनिक नाम Mg3Si4O10(OH)2 है. कॉस्मेटिक और पर्सनल केयर बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसमें नमी को सोखने का गुण होता है.
ब्यूटी केयर प्रोडक्ट में टैल्क के इस्तेमाल पर सवाल उठते रहे हैं. माना जाता है कि इसके इस्तेमाल से कैंसर होता है. दरअसल, जहां से टैल्क निकाला जाता है वहीं से एस्बेस्टस भी निकलता है. एस्बेटस जिसे अभ्रक भी कहा जाता है एक प्रकार का सिलिकेट मिनरल है. इसका क्रिस्टल स्ट्रक्चर अलग होता है. इससे शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, कहा जाता है कि टैल्क की माइनिंग के दौरान इसमें एस्बेस्टस के मिलने का भी खतरा रहता है. कंपनी ने कहा है कि वह अब टैल्क की जगह स्टार्च बेस्ड पाउडर का निर्माण करेगी.