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तलिये में चारों तरफ बिखरे हैं तबाही के निशान, एक दो खंडहर बचे घर दे रहे हैं सैलाब की गवाही

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
Taliye landslide letest news: मुंबई. रायगड जिले की महाड तहसील के तलिये गांव में 22 और 23 जुलाई 2021 को हुए भूस्खलन में लोग ज़िंदा दफन हो गए थे. डेढ़ साल बाद भी उस भयानक हादसे की तस्वीरें अब भी विचलित कर देती हैं. इस गांव  के 66 घर 20 फुट खींचड़ में समा गए थे. चारों तरफ बिखरे तबाही के निशान आज भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हादसा कितना भयानक था. इस हादसे में कुल 87 लोगों की जान गई थी. जिसमें आज भी 47 लोगों का पता नहीं लगाया जा सका. किसी के हाथ मिले तो किसी के सिर, महीनों तक तक चले खोज अभियान को थक हार कर बंद कर दिया गया. (The signs of devastation are scattered all over the floor, one or two ruined houses are testifying to the flood)
तलिये लैंडस्लाइड
खंडहर हुए घर के भीतर की तस्वीर
    लाखों टन मलबे समा गए 66 परिवार 
स्थानीय निवासियों का कहना है कि  22 जुलाई से ही भीषण बारिश हो रही थी. 23 जुलाई शाम चार बजे एक तरफ पहाड़ी का कुछ हिस्सा लुढ़क कर नीचे की तरफ आया. इसे चेतावनी मान कर सब अपने घरो से निकल कर बाहर भागे, चीख पुकार के बीच दूसरी तरफ के लोग भारी बारिश में घरों से भाग कर चौक पर आ गए. सब लोग चौक पर जाम हो रहे थे अचानक पहाड़ी का बड़ा हिस्सा खिसक गया, एक साथ साथ लाखों टन मलबा इतनी तेजी आया कि चौक पर खड़े लोग 20 फुट मलबे के नीचे समा गए.
यह दृश्य दे रहा हादसे की गवाही
   सब कुछ बहा ले गया मौत का सैलाब 
मौत का सैलाब सब कुछ बहा ले गया. ज्यादातर घरों का नामों निशान मिट गया. एक दो घर के कुछ निशान मिलते हैं खंडहर हो चुके हैं. उस दिन पूरे महाड जो हादसे की जगह से करीब 15 से 20 किमी दूर है वहां भी लोग बाढ़ से जूझ रहे थे. शहर भी 10 से 20 फुट पानी में समाया हुआ था. पहाड़ों के बीच बसे तलिये में तत्काल मदद भी नहीं पहुंच सकी. नदियां उफान पर थीं. सड़कों पर सैलाब उमड़ पड़ा था, मानों पूरे महाड शहर को ही उखाड़ ले जाएगा. तलिये जाने वाले रास्ते बंद थे. गांव के बचे हुए लोग रोते बिलखते अपनों को मलबे में तलाश रहे थे. दूसरे दिन वहां एनडीआरएफ की टीम पहुंची. तब जाकर तलाशी अभियान में तेजी आई.
हादसे में परिवार के 14 सदस्यों को खोने वाले सुशील शिवरे
हादसे में परिवार के 14 सदस्यों को खोने वाले सुशील शिवरे
    एक परिवार के 14 लोग हो गए दफन 
 लोगों का कहना है कि इस हादसे में 6 परिवार ऐसे थे जिनके घर एक भी सदस्य नहीं बचा. अपने तीन छोटे छोटे बच्चों को लेकर पहाड़ी की तरफ घर में फंसे एक बुजुर्ग को लेने गई महिला खुशनसीब थी. वे सुरक्षित बच गए. सुनील शिवरे उन्ही खुशनसीबों में से हैं जो बच तो गए लेकिन कहते हैं हम तो बस जिंदा लाश हैं. पत्नी, 20 महीने के लड़के, पांच साल की लड़की, माता पिता, भाई,  सहित परिवार के कुल 14 लोगों की जान चली गई. लगभग महीनों भर चले तलाशी अभियान के बाद केवल 40 शव बरामद किए गए. आखिरकार तलाशी अभियान बंद कर दिया गया. राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने कंटेनर में बने अस्थाई घरों में लोगों को रहने के लिए छत उपलब्ध कराए, अब महाराष्ट्र गृहनिर्माण प्राधिकरण वहां घरों का निर्माण कर रहा है. 25 परिवार कंटेनर निर्मित अस्थाई आवास में हैं. बाकी लोग अपने रिश्तेदारों और दूसरे गांवों में शरण लिए हुए हैं.

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