नववर्ष आज के दिन ब्रम्हा जी ने की थी सृष्टि की रचना, इस दिन इन महापुरुषों का हुआ जन्म जिन्होंने सनातन धर्म के लिए महत्वपूर्ण कार्य

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. हर वर्ष की भांति आज हिंदू नववर्ष मनाया जा रहा है. आज ही के भगवान ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना की थी. तब से नववर्ष मनाने की शुरुआत हुई थी, जो युगों से अब तक चलती आ रही है. हालांकि हिंदू नवसंवत्सर 2080 चल रहा है लेकिन नववर्ष मनाने की प्रथा उससे भी पुरातन है. नववर्ष के दिन कई महापुरुषों ने इस धरा पर जन्म लिया जिन्होंने सनातन धर्म को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. (New Year: On this day Brahma ji had created the universe, on this day these great men were born who did important work for Sanatan Dharma)
आज ही के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था.इस दिवस के अवसर पर ही प्रभु राम द्वारा बाली का वध किया गया था. धर्मराज युधिष्ठर का राज्याभिषेक दिवस भी हिन्दू नववर्ष के दिन ही हुआ था. लंकापति रावण के विजय के अवसर पर इस दिवस अयोध्यावासियों ने अपने घरो पर भगवान राम के सम्मान में विजय पताका फहराई थी.
आज ही के दिन विक्रमादित्य ने विक्रमी संवत का प्रारंभ किया था. सिखों के दूसरे गुरू अंगददेव जी का जन्म आज के ही दिन 31 मार्च 1504 में हुआ था. आज ही के दिन स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की थी. आज के दिन संत झूलेलाल का जन्म हुआ था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार का भी जन्म हुआ था. डॉ हेडगेवार ने आरएसएस की स्थापना कर हिंदुओं को नई पहचान दी. उन्हें अपने धर्म और कर्तव्यों का बोध कराया.
नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है. अखंड भारत में यह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. दुनिया के आधे से ज्यादा लोग इसे मनाते हैं. विक्रमादित्य के राजतिलक पर यह नववर्ष मनाने की प्रथा शुरू की गई थी. जिसे नवसंवत्सर भी कहा जाता है. शास्त्रों में कुल 60 संवत्सर बताए गए हैं. ज्योतिष गणना के अनुसार, हिन्दू नव वर्ष का पहला दिन जिस भी दिवस पर पड़ता है पूरा साल उस ग्रह का स्वामित्व माना जाता है. हिन्दू नव वर्ष पूजा-पाठ के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. हिन्दू नव वर्ष की जब शुरुआत होती है तब चैत्र का महीना होता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है. चैत्र माह और हिन्दू नव वर्ष का पहला त्यौहार नवरात्रि पड़ता है. जिसमें 9 दिनों तक मां दुर्गा की पूर्ण श्रद्धा से पूजा की जाती है.
भारत में सदियों से हिन्दू समुदाय द्वारा विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. विक्रम संवत पर आधारित कैलेंडर के अनुसार मनाया जाने वाले हिन्दू नववर्ष को हिंदू नव संवत्सर या नया संवत के नाम से भी जाना जाता है.साथ ही इस दिवस को संवत्सरारंभ, युगादी, गुडीपडवा, वसंत ऋतु आरम्भ आदि नामो से भी जाना जाता रहा है.
वैज्ञानिक पद्धति से तैयार किया गया विक्रम संवत कैलेंडर पूर्ण रूप से वैज्ञानिक गणना पर आधारित है जहां नववर्ष को प्रतिवर्ष चैत्र माह में मनाया जाता है. चैत्र माह में प्रकृति में चारों ओर उत्साह एवं सौंदर्य प्रदर्शित होता है एवं बसंत ऋतु का आगमन होता है. हिन्दू नववर्ष के अवसर पर सम्पूर्ण प्रकृति ही नए साल का स्वागत करने के लिए तैयार प्रतीत होती है. आध्यात्मिक दृष्टि से भी हिन्दू नववर्ष को अत्यंत पवित्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.