आईएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली. कभी दक्षिण भारत के लिए अछूत समझे जानी भाजपा धीरे-धीरे दक्षिण भारत के राज्यों में भी अपने पैर जमाने लगी है. खासकर तामिलनाडु में जहां इस बार हुए निकाय चुनावों में भाजपा अकेले उतरी थी पिछले चुनाव से ज्यादा सीटें जीतकर यह दिखाने की कोशिश की है कि वह पश्चिम बंगाल की तरह तामिलनाडु में भी आने वाले समय में सत्ता का दरवाजा खटखटाएगी.
तामिलनाडु में अभी हाल ही में हुए नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों के चुनाव में तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कषगम (DMK) और उसके सहयोगी दलों ने नगर निकाय चुनावों में तिहाई सीट जीतकर शानदार सफलता हासिल की है. DMK ने 12,800 से अधिक वार्ड सदस्य पदों के लिए हुए चुनाव में राज्य की 22 नगर निगम में से 21 नगर निगम की सत्ता पर काबिज हो गई है. जबकि अकेले मैदान में उतरी भाजपा भले ही एक भी निगम पर कब्जा नहीं कर सकी लेकिन नगर निगम की 22, नगर पालिका में 56 और नगर पंचायतों में 230 सीटों पर हासिल की है. तामिलनाडु में भी अंगद की तरह अपने पैर गड़ाने के संकेत दे दिए हैं. इतनी सीटों पर मिली सफलता को ही बीजेपी अपनी जीत मानकर चल रही है क्योंकि इससे पहले नगर पालिकाओं में उसकी उपस्थिति बिलकुल भी नहीं थी.
बीजेपी का बढ़ रहा वोट प्रतिशत
शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों में 2012 की तुलना में बीजेपी का इस बार 0.7% वोट प्रतिशत बढ़ा है. 2011 में बीजेपी अकेले चुनाव में उतरी थी. उस समय नगर पंचायतों में 2.2% वोट मिले थे. 2022 के शहरी निकाय चुनाव में यह प्रतिशत बढ़कर 3.01% हो गया.
इसी तरह नगर पालिकाओं में, 2011 में इसकी सीट हिस्सेदारी 1% थी अब यह बढ़कर 1.45% हो गई है. वोट शेयर बढ़ने के साथ सीटों में भी वृद्धि हुई है. 2011 में 0.5% से बढ़कर 2022 में निगम वार्डों में 1.67% हो गया है.वर्ष 2011 के चुनाव में 272 सीटों पर जीत मिली थी उसके बल पर भाजपा ने 28 जिलों की नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में अपनी पहुंच बढ़ाई है. पहले यह केवल कन्याकुमारी जैसे पारंपरिक गढ़ों में थी. पार्टी ने उत्तरी जिलों जैसे अरियालुर, कृष्णागिरी, रानीपेट और वेल्लोर में भी जीत दर्ज की. पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन ने बताया कि यह बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण टर्न है. तमिलनाडु की राजनीति में अब भाजपा को लेकर बदलाव आ रहा है.
बीजेपी ने पार्टी ने 2001 के स्थानीय निकाय चुनावों में डीएमके गठबंधन में चुनाव लड़ा था. अब पार्टी अपने दम पर सीटों का विस्तार कर रही है. पश्चिम बंगाल में इसी तरह पार्टी खुद को संतुलित करते हुए विधायक सभा में अपनी मजबूत उपस्थित दर्ज काराई है. दक्षिण भारत के कर्नाटक में भाजपा की सत्ता है और केरल में भी वोट प्रतिशत बढ़ रहा है.