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मलेशियाई नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी का कारनामा, सैकड़ों डाक्टरों से ठगे लाखों रुपये

सायन पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई शिकायत

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने घपलेबाजी के आरोप में जानी-मानी नेटवर्क मार्केटिंग कंपनी एमवे प्रवर्तन की 757 करोड़ रुपये की प्रापर्टी जब्त करने की खबर से नेटवर्क मार्केटिंग इंडस्ट्री में खलबली मची हुई  है. इस बीच एक और चौंकाने वाली खबर आई है.  एक मलेशियाई (maleshian mlm company) कंपनी ने इसी तरह की नेटवर्क मार्केटिंग मुंबई के सैकड़ों डॉक्टरों और बीएमसी अधिकारियों को मोटा कमीशन का लालच देकर  5 से 9 लाख रुपये ऐंठ लिए थे. एक डॉक्टर की तरफ से सायन पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराने के बाद इसका खुलासा हुआ है.

पुलिस में दर्ज शिकायत में कहा गया है कि डॉक्टरों को कमीशन की फूटी कौड़ी नहीं मिली.  इसके बदले हर महीने हजारों रुपये के महंगे उपहारों के नाम पर नकली उपहार थमा दिए गए.  जब ठगे गए डॉक्टरों ने कंपनी से पूछताछ की तो मलेशियाई कंपनी ने कहा कि नया सदस्य नहीं जोड़ने पर कमीशन और उपहार नहीं दिया जाएगा. इस सिलसिले में सवालों के जवाब भी नहीं दिये. कंपनी की ठगी के शिकार हुए  केईएम अस्पताल के डाक्टर आदित्य आणवेकर ने सायन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है.

मलेशियन एमएलएम कंपनी पेमेंट करने वाले लोगों को जूम मीटिंग कर पिरामिड पद्धति से नए ग्राहक बनाने का प्रशिक्षण देती है. पहले चरण में परिवार के सदस्यों और दोस्तों को जोड़ने को कहा जाता है. एक बार जब कोई ग्राहक श्रृंखला में शामिल हो जाता है, तो उसे एक कमीशन का वादा किया जाता है. डॉक्टरों को इसके लिए दिन में तीन घंटे का समय देना पड़ता था. इन भ्रांतियों का शिकार होने के बाद मुंबई, नागपुर, नासिक, औरंगाबाद, जलगांव और राज्य के अन्य मेडिकल कॉलेजों के छात्र डॉक्टरों ने भी फटाफट धनवान बनने के लालच का शिकार होकर पैसे दे दिए.

पता चला है कि कूपर अस्पताल के रजिस्ट्रार लोकमान्य तिलक अस्पताल के हड्डी रोग विभाग के साथ मिलकर कंपनी के लिए फुल टाइम काम करते हैं. डॉक्टरों का तर्क है कि ऑनलाइन सेवा चिकित्सा देखभाल को प्रभावित नहीं करती है. ठगी के शिकार डॉक्टरों में से कई ने अपनी मां, पिता, बहनों, भाइयों और दोस्तों को पिरामिड में शामिल करके अपना पैसा डुबो दिया.

पैसा बनाने के लालच में कई डॉक्टरों ने अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि उन्हें उन डॉक्टरों के लिए समय नहीं मिला. जिन डॉक्टरों ने एक छोटी राशि को छोड़कर रिफंड मांगा, उनसे कहा गया कि वे कोई पैसा या उपहार नहीं देंगे क्योंकि आपने नए सदस्यों को नहीं जोड़ा है. कंपनी नीति के बारे पूछने पर बताया गया कि पैसा निवेश करते समय इन डॉक्टरों को ऑनलाइन बैठक में उनकी वापसी नीति के बारे में बताया जाएगा.

जे.जे अस्पताल के शिकार हुए डॉक्टरों के अनुसार, उपहार के रूप में दी गई घड़ी, सोने के आभूषण और अन्य उपहारों की कुल कीमत 40,000 रुपये से कम थी. डॉक्टर को नकली गोल्ड प्लेटेड जेवर भी थमा दिये गये. बिचौलिए डाक्टर जिन्होंने कभी कहा था कि अगर वे काम नहीं करना चाहते हैं, तो उनका वापस भुगतान कर दिया जायेगा. अब कह रहे हैं कि चार से पांच साल में पैसा वापस मिलेगा.

नौकरी छोड़ चुके लोगों को कंपनी का आईकार्ड व अन्य दस्तावेज लौटाने के लिए लगातार कॉल आ रहे हैं‌. इस संबंध में कूपर अस्पताल के अधीक्षक डॉ. शैलेष मोहिते और लोकमान्य तिलक अस्पताल के डीन डॉ मोहन जोशी ने डॉक्टरों से इस तरह किसी चक्कर में नहीं पड़ने की सलाह दी है.

पैसे वापस करने में हीलाहवाली

पैसा निवेश करने वालों में केईएम अस्पताल के एकमात्र डॉ आदित्य अणवेकर को केवल 7 दिनों के भीतर कंपनी की जालसाजी का पता चल गया. उन्होंने  नेटवर्क में काम करने से मना कर अपना पैसा वापस मांगा.  उनका कहना है कि कूपर अस्पताल में काम करने वाले मध्यस्थ से  पैसा वापस करने के लिए कहा.  लेकिन उन्हें कहा गया कि अब पैसा वापस नहीं किया जाएगा क्योंकि कंपनी मलेशिया में है. इस बारे में सायन पुलिस का कहना है कि मामले की जांच चल रही है.

 

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